बिलासपुर बिग ब्रेकिंग:देवउठनी एकादशी पर्व पर दिया विशेष बातो की जानकारी: Dr alka yadav
मांगलिक अवसर पर भित्ति चित्र की परम्परा
गांवों में पशुधन को सोहाई बांधा जाता है। ग्राम्य देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। अहीर समुदाय की स्त्रियां किसानों के घर-घर जाकर तुलसी चौरा और धान की कोठी पर पारंपरिक चित्र बनाया करती है। जिसे हाथा देना कहते हैं। जब ग्वाले सोहाई बांधने के लिए आते हैं तब उसी हाथे पर गोबर को अपने मालिक(किसान) की मंगल कामना करते हुए असीस(आशीर्वाद) देकर थाप देते हैं और कहते हैं-
डॉ अलका यादव
[04/11, 11:30 am] Dr. Alka Yadav: आज देव उठनी एकादशी है जो प्रति वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी को मनाई जाती है। चतुर्मास के प्रारंभ में देव शयन करते हैं याने भगवान विष्णु शयन करते हैं। चतुर्मास समाप्त होने पर आज के दिन उठते हैं एवं उसके पश्चात शुभ कार्य प्रारंभ होते हैं ऐसी परंपरा। आज की एकादशी को तुलसी ग्यारस या एकादशी भी कहते हैं।आज तुलसी का विवाह भी होता है। महिलाएं उपवास भी करती है।कयी महिलाएं ग्यारह दिनों का भी कटृर उपवास भी करती है जहां तक जल भी ग्रहण नहीं करती है। बचपन में हमने हमारी माता जी को ग्यारह दिनों का उपवास करते देखा है। आज तुलसी विवाह भी है।सभी को बधाई और शुभकामनाएं।Live Cricket
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