गौ माता में सभी देवी देवताओं का वास होता है
मातर परब और तैयारी
नाचते हुए राउत नर्तक
ग्रामीण क्षेत्रों में क्षेत्रीय विशेषता अनुसार मातर पर्व के रुप में कुछ अंतर हो सकता है लेकिन मूल में सभी जगह मातृशक्ति की ही पूजा की जाती है। जिस गांव में रावतों की संख्या ज्यादा होती है वे गोवर्धन पूजा की रात को गांव के गौठान में इकट्ठे होकर सांहडादेव के बाजू में ग्राम्य देवी देवता को स्थापित कर रातभर गंधर्व बाजा के ताल में दोहा वाचन करते हैं। सवेरे पूजा अर्चना के पश्चात गौ माता की पूजाकर और खिचरी का भोग लगाकर गौठान में उपस्थित ग्रामीणों को कद्दू की सब्जी, खीर, चावल और बड़ा, चौसेला मिश्रित खिचड़ी का प्रसाद बांटा जाता है। गौ माता में सभी देवी देवताओं का वास होता है। अतः उनको अर्पित किया भोजन सभी देवताओं को प्राप्त हो जाता है। ऐसी लोकमान्यता भी है। प्राचीन शास्त्रों में भी उल्लेखित है –
भुक्त्वा तृणानि शुष्कानि पीत्वा तोयं जलाशयात् ।
दुग्धं ददति लोकेभ्यो गावो विश्वस्य मातरः॥
वेदों में कहा गया हैः- गावो विश्वस्य मातरः।
अर्थात् गाय सम्पूर्ण विश्व की माता है।
मातरः सर्वभूतानां गावः सर्वसुख:
‘गौएँ सभी प्राणियों की माता कहलाती हैं। वे सभी को सुख देने वाली हैं।’