ब्रेकिंग न्यूज़ : बहुजन मिशन के रणनीतिकार सेमरा निवासी कलीराम दिव्य नहीं रहे उनका निधन से समाज को अपूर्णीय क्षति ।

 

कसडोल/ गिधौरी 11 अक्टूबर 2022 । बहुजन समाज के दिवंगत नेता सेमरा (गिधौरी) निवासी कलीराम दिव्य अपने जीवन काल में केवल और केवल बहुजन आंदोलन के लिए संघर्ष किया। वे अब हमारे बीच नहीं रहे उनका संघर्ष और आंदोलन को लोग हमेशा याद रखेंगे।वे स्नातक पढ़ाई के साथ साथ डि फार्मेसी की डिग्री हासिल की।1982 से राजनीति और बहुजन मिशन में सक्रिय 1984 व 1989 में दो बार कसडोल विधानसभा से बसपा की टिकिट से चुनाव लड़ा। वे Ds 4 की मिशन में सैकड़ों किमी सायकिल रैली की,युवाओं में जोश भरने में सक्षम दिव्य बहुजन समाज और आंदोलन के लिए हमेशा तत्पर रहते थे वे बहुत बडे रणनीतिकार थे। तत्कालीन युवा वर्ग उन्हें इस क्षेत्र के कांशीराम कहते थे । युवा वर्ग”दिल्ली में कांशीराम छत्तीसगढ में कलीराम” मानते थे।मिशन गतिविधियों के दौरान स्वयं के घर में कार्यालय रखा जहां 15-20 युवा प्रतिदिन भोजन किया करते थे।एक अद्भुत जुनून के साथ बिलासपुर में जब कांशीराम की आमसभा आयोजित थी तो सैकड़ो युवा के साथ सायकिल से 70km सभा में पहुंचे।

बहुजन मिशन में दान देने में तो वे दान वीर रहे । 1982 में स्वयं के बैंक अकाउंट से पचास हजार रूपये बहुजन मिशन में सहयोग करने वाले वे एक मात्र दानी रहे , जिस राशि की वेल्यू आज के समय में लाखों की है । अपनी निजी स्वार्थ से उपर उठकर युवाओं को शिक्षा में आर्थिक सहयोग देकर माननीय स्व कलीराम जी ने अद्वितीय मिशाल पेश किया जो अनुकरणीय है। वे चुनाव जीतकर मण्डी अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होने एम एल निराला जैसे होनहार युवाओं को मार्गदर्शित कर हजारों रुपये आर्थिक सहयोग कर आई आई टी मुम्बई में शिक्षा ग्रहण करने में सहायता की जो कि बाद में एम एल निराला ने अपनी लक्ष्य हासिल कर यू एस ए के नासा जैसे सर्वोच्च संस्था में सीनियर साइंटिस्ट तक पहुंच गए ।मा दिव्य जी कृषि व्यवसाय से जुड़े रहकर भी हर सम्भावित क्षेत्र में बहुजन विकास के लिए कार्य किया। 1989 में जब कैप स्टोन इंग्लिश मीडियम स्कूल ग्रामीण बच्चों को अर्बन छात्रों के समकक्ष ले जाने के लिये प्रारंभ किया गया तो मा दिव्य जी का सहयोग एक मिशाल है, उन्होनें अपने स्वयं के दो बेटों को हिन्दी स्कूल में से तीसरी व चौथी कक्षा से बाहर निकाल कर अन्ग्रेजी माध्यम के पहली से पढ़ाना प्रारंभ कर दिया। कठोर परिश्रम कर उन्होनें दो दो कक्षा एक साल में पास कराये और आज उनका सुपुत्र डॉक्टर बन चुके हैं ।उनका जीवन बहुजनों को उन्नति के पथ पर अग्रसर करने के लिए हमेशा उत्सुकता से भरा हुआ था । ऐसे महामानव को कोटिश: सलाम 7 अक्टूबर 2022 को वे हमारे मध्य नहीं रहे । समाज के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। श्रद्धा सुमन अर्पित,,,,,,,,

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