सुंदर कविता ,सुमन लता यादव
पारिजात
पारिजात के फूल
शाम से कली रूप
रात भर सुगन्धित
भोर भए ओस संग
बिखर गए धरती में
सुगन्ध एसी मोहक
जैसे हो प्रेम के रूप
स्वेतवर्ण लाल लकीर
दर्शाते प्रेम ये अमिट
मेरे प्रेम भी है सदृश्य
हो पारिजात के फूल
महक है उसकी भीनी प्रतीति बहुत ही प्यारी
हिय में भरे उमंग तरंग
बसा प्रेम ये अंग अंग
मधुर संग मनभावन
हमारा प्रेम वैसा ही है
जो है पारिजात फूल।
स्व रचित
सुमन लता यादव
पामगढ़
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