Global36garh news : चिल्हाटी में खसरा नंबर 224 के अविवादित जमीन खरीददार नामांतरण के लिए पिछले 3 साल से भटक रहे। राजस्व अधिकारी के मौके का मुआयना नहीं करने से मामला पेचीदा होते जा रहा l

 

बिलासपुर 21 सितंबर 2022 ।  चिल्हाटी के अविवादित जमीन खरीददार इस समय नामांतरण नही होने से खासे परेशान हैं। जब से खसरा नंबर 224 में साढ़े चार एकड़ जमीन की हेराफेरी का खुलासा हुआ है तब से नामांतरण प्रकरण लटक गया है।इसके कारण वे अपनी खून पसीने से पाई पाई जोडकर खरीदी गई जमीन पर अपना मकान नहीं बना पा रहे हैं वे किराए के मकान पर रहने मजबूर हैं,उनकी जमीन विवादित नहीं है फिर भी राजस्व विभाग के अधिकारी नामांतरण नहीं कर रहे हैं बार बार प्रकरण खारिज कर रहे हैं। उक्त खसरा नंबर में कुछ एक के विवादित व अवैध भूमि के कारण दर्जनों सही लोगों को नामांतरण के लिए पिछले 3 साल से राजस्व विभाग का चक्कर काटना पड़ रहा है। ज्यादातर अवैध प्लॉट की शिकायत चिल्हाटी रोड़,लगरा सीमा के पास बताया जा रहा है।वहीं खसरा नंबर 224/422 की बात करें तो यह जमीन जो की चिल्हाटी में चिल्ड्रन वेली स्कूल के पीछे सीपत रोड में स्थित है। सरकारी और विवादित जमीन से इसका फासला एक किमी की दूरी पर है।यहां पर भूमि लेने वालों के मामले अविवादित है अधिकांश के नामांतरण प्रकरण 2020 में ही निपटा दिया गया है कुछ लोगों का नामांतरण करना शेष है।इनका कहना है की जांच के नाम पर बीते 3 साल लगा दिए अभी तक जांच पूरी नहीं हुई है।यदि गड़बड़ी पकड़ना है तो राजस्व व जांच टीम एक साथ मौके पर जाकर पड़ताल करें सच्चाई सामने आ जाएगी।

इस मामले पर हमारे संवाददाता ने गहराई से राजस्व रिकार्ड की पड़ताल की तो इन खरीददारों के हाथ में 50 साल के सत्यापित रिकार्ड हैं। उन्होंने कहा कि वे इस रिकार्ड को देखकर राजस्व अधिकारीयों को नामांतरण करने को कहते हैं तो अधिकारी मानने को तैयार ही नहीं है। इन खरीददारों के पास भू अधिकार अभिलेख पंजी है जो रामकिसून पिता पल्टन निवासी चिल्हाटी के नाम पर 28 अगस्त 1975 से नाम दर्ज है। खरीददारों ने अब तक हुई सभी खरीदी बिक्री का लिंक स्टांप बड़ी मेहनत से रजिस्ट्री कार्यालय से निकाला है। जिसमें 7 मई 2005 को हीरा कुमार के नाम पर 2 एकड़ भूमि दर्ज़ थी जिसे संदीप बाजपेई को बेची गई।संदीप ने 29 अगस्त 2005 को सादाब हुसैन को जमीन बेची। सादाब ने 14 फरवरी 2017 को श्रीमती नूतन खेडिया को जमीन बेची।नूतन ने 25 जनवरी 2018 को प्रदीप महंत के रिश्तेदार दिनेश दास,सतीश मानिकपुरी,रवि मानिकपुरी को जमीन बेची।दिनेश ने 5 नवंबर 2019 को प्रकाश सिंह पोर्ते को बेची। राजस्व रिकार्ड में जमीन निजी और कृषि कार्य के उपयोग में लाए जाने का स्पष्ट उल्लेख है जिसमें धान फसल उगाते हैं ।इतने सबूत पेश करने के बाद भी राजस्व अधिकारी नामांतरण करने से मना कर रहे हैं।

इस संदर्भ में तहसील कार्यालय बिलासपुर के तहसीलदार अतुल वैष्णव ने कह कि इस खसरा नंबर में साढ़े 4 एकड़ जमीन पर कांट छांट कर जमीन की गड़बड़ी की गई अब भी जांच चल रही है जांच उपरांत जो सही पाए जाएंगे उसका नामांतरण किया जाएगा।मौके मुआयना करने की बात पर उन्होंने कहा कि बहुत जल्द दोनों तरफ की जमीन देखूंगा। वहीं हल्का के पटवारी आलोक तिवारी ने बताया कि इस खसरा नंबर में 83 एकड़ भूमि है जिसमें साढ़े 4 एकड़ सरकारी भूमि में हेराफेरी की गई है जिसकी अब भी जांच जारी है।इधर रजिस्ट्री कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक खसरा नंबर 224/380 की खरीदी बिक्री पर रोक लगी हुई है लेकिन चिल्हाटी के प्रदीप महंत के रिश्तेदारों की भूमि जिसका खसरा नंबर 224/422 है इस भूमि की रजिस्ट्री चालू है।उल्लेखनीय है की मामले की जांच करते तीन साल बीत गए लेकिन अब तक जांच टीम और राजस्व अमले अवैध वैध भूमि को चिन्हांकित भी नहीं कर पाए।यदि विभाग अविवादित और विवादित जमीन की पहचान कर लें तो खरीददारों के जमीन नामांतरण करने में आसानी होगी लेकिन दफ्तरों में बैठकर जवाबदेह अधिकारी कागजों से भूमाफिया की करतूत की जांच करेंगे तो भला ऐसे में कहां और कब तक जांच पूरी होगी यह भी जांच का विषय है।लोगों ने कहा की अधिकारी मौके का मुआयना करेंगे तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।उनकी निजी जमीन को राजस्व विभाग बेवजह,जबरदस्ती विवादित बना रहा है जो अनुचित है।खरीददारों ने शासन प्रशासन से जल्द मौके मुआयना की जांच कर भूमि नामांतरण करने की मांग की है।

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