
मजदूरों का दर्द आखिर समझेगा कौन…..!!
बेसहारा….बेबस… भूखे ,प्यासे ये मजदुर फैक्ट्रियों में काम बंद हो जाने के कारण दूसरे प्रदेशों से अपने घर को पैदल ही निकल पड़े । न पास में पैसा है… न खाने को रोटी… सिर्फ एक उम्मीद, की घर पहुंचे पर सब कुछ ठीक हो जाएगा ।

रास्ते मे न पानी है…, ना सोने की जगह…, न बस है.., ना गाड़ी..। कभी कोई सेवादार कंही रोटी सब्जी खिला देता तो ये बडे खुशी के साथ खा लेते और फिर अपने घर के रास्ते को निकल पड़ते छोटे बच्चे ,सामान की बोरी न जाने साथ क्या क्या बोझ उठा के चल रहे है l
चलते चलते पैरों में छाले भी पढ़ गए है ,समान की बोझ से कमर दर्द से कराह रहा है पर मजबूर ये मजदुर करे तो करे क्या ..? कोई इनके दर्द को देख तो जरूर रहा पर महसूस कोई नही कर रहा ।
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